इंदौर – वैसे तो पोहे का नाश्ता पूरे उत्तर भारत में लोकप्रिय है खासकर मध्य प्रदेश में पर इंदौरी पोहे की तो बात ही कुछ और है, जिसका देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मशहूर है, हल्का और बेहतरीन स्वाद होने की वजह से यह बहुत ही लाजवाब, वसा की मात्रा कम होने की वजह से यह हेल्थ के लिए भी बढ़िया है, इसी लिये कई न्यूट्रिशनिस्ट भी अब पोहा खाने की सलाह देते हैं, दुनिया में इंदौर ही एकमात्र ऐसा शहर है, जहां के 90 प्रतिशत लोग अपने दिन की शुरुआत पोहा खाकर करते हैं.
यहाँ के पर्यटकों को भी इसका नाश्ता बेहद पसंद है और बड़े ही चाव से पोहे-जलेबी का आनंद लेते हैं. इंदौर में पोहा खाने वालों के लिए यह चौबीस घंटे हर स्थान पर बिकता है.
ऐतिहासिक रूप से पोहे खाने का प्रचलन महाराष्ट्र में नजर आता है जो मराठा शासकों की वजह से दूसरे स्थानों पर फैला खासकर इंदौर में, खासकर होल्कर और सिंधिया वंश के महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश आने के साथ ही पोहा भी यहां आ गया, और यहाँ के स्थानीय स्वाद के साथ मिलकर एक नए रूप में निखार कर आया. कहा जाता है कि महाराष्ट्र के रायगढ़ के पुरुषोत्तम जोशी अपने रिश्तेदार के यहां इंदौर आए, उस दौरान जोशी के मन में पोहे की दुकान खोलने का विचार आया, पोहे की दुकान खुलते ही यहां के लोगों को पोहा इतना भाया कि यह इंदौर की पहचान बन गया.
पोहे का पौराणिक महत्त्व भी है, कहा जाता है कि गरीब सुदामा जब अपने मित्र भगवान कृष्ण से मिलने द्वारका गए थे, तो वह उनके लिए उपहार स्वरुप पोहा भी लेकर गए थे. भगवान कृष्ण को पोहा इतना पसंद आया कि उससे खुश होकर भगवान ने सुदामा की गरीबी दूर की थी.